उत्तराखंड की धरती पर अनेक धार्मिक स्थल हैं जो अपनी आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण स्थल है दीबा माता मंदिर, जो धुमकोट स्थान, उत्तराखंड में स्थित है। चलिए जानते है विस्तार से दीबा माता मंदिर के बारे मे।
दीबा माता मंदिर (Deeba Mata Mandir) का इतिहास
कहा जाता है यह मंदिर खाटली लोंगो द्वारा स्थापित किया गया है। गढ़वाली में दो अलग क्षेत्रो को मुल्क कहते है जिसे एक तल्ला मुल्क व ऊपर के क्षेत्र को मल्ला मुल्क कहा जाता है जिसे सभी लोग खाटली के नाम से जानते है। खाटली में स्थित कोलरी गाँव जहां किमनी जाती के पण्डित रहते है जिन्होंने माँ दीबा भगवती कि बर्षो से निरंतर पूजा अर्चना करते आ रहे है। जो इस मंदिर के पुजारी भी है।
कोलरी गाँव भण्डारा स्यारा में माँ दीबा कि एक लम्बी गुफा है, जहा माँ ज्योति रूप में विराजमान रहती है। ऐसा माना जाता है कि गुफा दीबा मंदिर तक है। कुछ भक्तो द्वारा यहां पर माँ दीबा कि अष्टभुजा मूर्ती भी स्थापित कर दी है। पूर्व काल में माँ भगवती यहाँ तपस्या करने के लिए आती थी। हालाँकि यहाँ कि खोज निवासीय कोलरी गाँव के किमनी (पुजारी) परिवार के पूर्वजो द्वारा कि गयी थी। पुजारियों ने इन दोनों स्थानो के बारे में प्रचार प्रसार किया । तब से यहाँ पर भक्तो का आना जाना लगा रहता है। माता रानी यहाँ आने वाले भक्तो को निराश नहीं जाने देती है। जब दीबा में पूजन का कार्यक्रम किया जाता है तब पुजारी गण दो भागो में बटकर दोनों स्थानों पर एक साथ पूजन का कार्य करते है।
यह भी पढ़ें: Jageswar Dham
एक रोचक तथ्य
यहाँ पर धौडिया बाबा का एक छोटा मंदिर भी स्थित है। गोरखा शासनकाल में धौडिया बाबा प्रत्यक्ष रूप से युद्ध के लिए जाया करते थे जो कि यहाँ के स्थानीय क्षेत्र की भी रक्षा करते थे। ऐसा माना जाता है कि एक बार धौडिया बाबा रयडा दीबा स्थान पर विश्राम कर रहे थे तभी गोरखा सैनिको ने उनके हाथ-पाँव काट दिए थे जिससे विवश होके उन्होंने अपना पूरा शरीर पत्थर में बदल दिया। जो कि मदिर में ही काफी लम्बे समय तक रहा। हालाँकि जब हम छोटे थे तब हमें बताया जाता था कि उस पत्थर का मुह जिस तरफ किया जाता है उस दिशा में बारिश से लेकर अन्न तक की कोई कमी नहीं होती थी। अब पत्थर का कोई प्रमाण नहीं मिलता 2006 तक हमने यह प्रत्यक्ष प्रमाण देखा है।
उपरोक्त दीबा माता मंदिर का इतिहास यही के पुजारी द्वारा पहाड़ी सुविधा को बातचीत के दौरान बताया गया। जिन्होंने प्रतक्ष प्रमाण में धौडिया बाबा के देखा था। अगर यह रोचक तथ्य आपको पसंद आया हो तो “आस्था का केंद्र माँ दीबा भण्डारा स्यारा” पुस्तक में आप लोग विस्तार से पढ़े। जिसको यंहा के पुजारी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
धार्मिक महत्व
दीबा माता मंदिर, स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत धार्मिक महत्व रखता है। यहाँ मां दीबा की पूजा अर्चना नियमित रूप से की जाती है, और विशेष रूप से धार्मिक त्योहारों पर बड़ी धूमधाम से आयोजन होता है। मां दीबा को शक्ति, संरक्षण और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है, और श्रद्धालु यहाँ आकर अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
मंदिर तक कैसे पहुंचें
धुमकोट, उत्तराखंड स्थित Deeba Mata Mandir तक पहुंचने के लिए निम्न मार्गों का उपयोग किया जा सकता है:
- सड़क मार्ग: धुमकोट उत्तराखंड के प्रमुख शहरों जैसे देहरादून, ऋषिकेश से सड़क मार्ग से सुलभ है। आप बस, टैक्सी या निजी वाहन से यहाँ पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश या देहरादून में स्थित है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा धुमकोट तक पहुँचना होता है।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई मार्ग से आगमन के बाद सड़क मार्ग से धुमकोट पहुँचना संभव है।
मंदिर के आस-पास की दर्शनीय स्थल
दीबा माता मंदिर के आसपास कई प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थल हैं जिन्हें देखना चाहिए:
- बीरोखाल बाजार: मंदिर के पास 30 कि०मि० की दुरी पर स्थित तीलू रौतेला की पावन भूमि है, जहाँ पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
- वन्यजीवन अभयारण्य: आसपास के वन क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जिनमे बुरांश और काफल प्रकृति प्रेमियों के लिएआकर्षक का केंद्र बना रहता है।
- स्थानीय बाजार: धुमकोट के बाजार में स्थानीय खाने-पीने की वस्तुएं मिलती हैं, जो दर्शकों को खरीदारी का आनंद देती हैं।
यह भी पढ़ें: Uttarakhand Jagar
यात्रा के सुझाव
- समय: मंदिर की यात्रा के लिए सुबह या शाम का समय उपयुक्त होता है, जब मौसम सुहावना होता है।
- जरूरी सामान : श्रद्धालुओं को मंदिर में जाते समय सलाह दी जाती है कि वेअपने साथ पानी ले जाये, क्यूंकि 8,760 ft. की ऊँचाई में पानी की बड़ी समस्या बनी रहती है।
- स्थानीय व्यंजन: स्थानीय भोजन का स्वाद लेना न भूलें, जो यहाँ के सांस्कृतिक अनुभव को समृद्ध बनाता है।
निष्कर्ष
दीबा माता मंदिर, धुमकोट, उत्तराखंड का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखता है। Pahadi Suvidha के इस लेख के माध्यम से आशा करता है कि आपको इस पवित्र स्थल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हुई होगी और आप इसे अपनी अगली यात्रा की सूची में शामिल करेंगे । साथ ही अपने उन दोस्तों को भी बताएँगे जो प्राकृतिक रूप से सुन्दर वातावरण व माता रानी के दर्शन के लिए पहाड़ो का आनंद लेना चाहते है।