दोस्तों, उत्तराखंड कि पहाडियों में अनगिनत औषधिया मौजूद है उन्ही में से एक जड़ी बूटी के बारे में आपको बता रहे है। जिसे गिलोय, अमृता या गुडुची के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद में इसे खास औषधि का दर्जा दिया है। विज्ञान की भाषा में वैज्ञानिको ने इसे Tinospora cordifolia के नाम से पहचान दी। गिलोय का उपयोग भारतीय चिकित्सा पद्धति में हजारों वर्षों से होता आ रहा है, और यह अपने औषधीय गुणों के कारण आज भी लोकप्रिय है। पहाड़ो में गिलोय आसानी से मिल जाता है। ये घास के साथ जंगलो व खेतों में अपने आप ही एक बेल के रूप में उग जाता है।
आजकल बरसतो के मौसम में जिस तरह कि बीमारियों ने मनुष्य शरीर पर बीमारियों ने कब्ज़ा किया हुआ है। लोंगो में इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है और अब लोग गिलोय को अपने घर आँगन में लगना पसंद कर रहे है। आप इसे सजावट के तौर पर इसका प्रयोग कर सकते है। हालाँकि हिमालयी क्षेत्र में किन्ही -किन्ही जगहों पर पहाड़ी लोग इसके बारे में नहीं जानते है या फिर जानते भी तो इसके गुणों के बारे में नहीं जानते है। चलिए हम आपको पहाड़ी सुविधा के माध्यम से गिलोय के बारे में बता रहे है।
गिलोय के औषधीय गुण
गिलोय को विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख औषधीय गुण निम्नलिखित हैं:
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: पहाड़ो को बरदान में गिलोय एक प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और अनेक बीमारियों से बचाव करता है इस्तेमाल करने का तरीका: जिन लोगो को बार-बार बुखार आता है इसके जूस के नियमित सेवन से शरीर में इम्युनिटी बढाती है, जिससे बार-बार बुखार आने की शिकायत दूर हो जाती है
- गिलोय में पाए जाने वाले पोषक तत्व: गिलोय में प्राकृतिक रूप से गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक,कैल्शियम और मैगनीज भी काफी मात्रा में मिलते हैं।
- श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी: जिनको अस्थमा, खांसी, और सर्दी जैसी समस्याओं लम्बे समय से है उनको गिलोय का सेवन करने से शरीर में काफी राहत देता है। यह श्वसन तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है और श्वसन संबंधी रोगों से बचाव करता है। इस्तेमाल करने का तरीका: जो लोग अस्थमा कि बिमारी से ग्रसित है गिलोय चूर्ण में मुलेठी चूर्ण शहद में मिलकर इसका इस्तेमाल करे।
- मधुमेह में सहायक: मधुमेह रोगियों के लिए भी गिलोय फायदेमंद माना जाता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस्तेमाल करने का तरीका: अगर आप जूस ले रहे है तो 10-15 मि०ली० को एक कप पानी के साथ खाली पेट ले। और अगर आप चूर्ण ले रहे है आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे के बाद ले।
- पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: गिलोय का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और अपच, गैस, और कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करता है। इस्तेमाल करने का तरीका: रात सोने से पहले गिलोय का चूर्ण को गर्म पानी के साथ ले। इसके रोजाना सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- जोड़ों के दर्द में राहत: गिलोय का उपयोग जोड़ों के दर्द, गठिया, और अन्य सूजन संबंधित समस्याओं में राहत प्रदान करता है। इस्तेमाल करने का तरीका: गिलोय का जूस या फिर इसका काढ़ा बनाकर शहद के साथ सुबह खाली पेट सेवन करे। कम से कम इसका सेवन दिन में 2 बार करने से जोड़ो में काफी राहत मिलाता है।
- पीलिया : जिन लोंगो को पीलिया कि शिकायत रहती है, गिलोय का लगातार सेवन करने से पीलिया जैसी बीमारी की रोकथाम करने में मदद करता है। इस्तेमाल करने का तरीका: 1-2 चुटकी गिलोय सत्व शहद के साथ नाश्ते के बाद ले।
- लीवर के लिए फायदेमंद है: लीवर समस्या वाले लोंगो को इसका सेवन करने से लीवर सम्बन्धित बीमारी दूर हो जाती है इस्तेमाल करने का तरीका: 1-2 चुटकी गिलोय सत्व शहद के साथ लेने से लीवर के लिए फायदेमंद होता है।
- डेंगू: डेंगू होने पर मरीज को तेज बुखार होने लगता है। गिलोय में मौजूद एंटीपाईटेरीक बुखार को जल्दी ठीक कर देते है।इस्तेमाल करने का तरीका: गिलोय के जूस की 2-3 बूँद एक कप पानी में मिलाकर खाना खाने से 1 घंटे पहले ले। ऐसा करने से डेंगू से जल्दी आराम मिलता है।
- त्वचा के लिए गुणकारी: आर्टिकेरिया में त्वचा पर होने वाले चकते, चहरे पर कील मुहासे निकलने लगते है, गिलोय का सेवन करने से इन सबको ठीक करने में मदद करती है। इस्तेमाल करने का तरीका : त्वचा सम्बन्धी रोगों से बचाव करने के लिए गिलोय (giloy) के तने को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर उसको उस जगह पर लगाये जहा पर प्रभवित हिस्सा हो।
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विशेष ध्यान:
- गिलोय की खुराक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और जरूरतों के अनुसार बदल सकती है। इसलिए किसी विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही इसका सेवन करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, और बच्चे इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।
- गिलोय का सेवन हमेशा निर्धारित मात्रा में ही करें। अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन करने से कुछ मामलों में हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।
गिलोय का उपयोग कब न करें
हालांकि गिलोय एक सुरक्षित और लाभकारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए या विशेष सावधानी बरतनी चाहिए:
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं:
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। इस दौरान इसका उपयोग सुरक्षित हो सकता है या नहीं, यह स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकता है। - ऑटोइम्यून रोग वाले लोग:
गिलोय इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जो सामान्यतः फायदेमंद होता है। लेकिन ऑटोइम्यून रोग (जैसे रूमेटाइड आर्थराइटिस, ल्यूपस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस) से पीड़ित लोगों के लिए इसका सेवन इम्यून सिस्टम को और अधिक सक्रिय कर सकता है, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे मामलों में गिलोय का सेवन विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए। - सर्जरी से पहले:
यदि आपको सर्जरी होने वाली है, तो गिलोय का सेवन कम से कम दो सप्ताह पहले बंद कर देना चाहिए। गिलोय का प्रभाव खून के पतले होने या शल्य चिकित्सा के दौरान रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है। - मधुमेह रोगी:
गिलोय का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यदि आप पहले से ही मधुमेह की दवाएं ले रहे हैं, तो इसका सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को और भी अधिक कम कर सकती है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में शर्करा का स्तर बहुत कम हो जाना) हो सकता है। - गिलोय से एलर्जी:
यदि किसी को गिलोय से एलर्जी है, तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए। एलर्जी के लक्षणों में त्वचा पर खुजली, लालिमा, सांस लेने में कठिनाई आदि शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष
गिलोय का सेवन सामान्यत: सुरक्षित है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है। सही जानकारी और सावधानी के साथ इसका उपयोग करें ताकि आप इसके अधिकतम लाभ उठा सकें।