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Gopinath Mandir Uttarakhand: देव भूमि की एक अनमोल धरोहर

Gopinath Mandir Uttarakhand

Gopinath Mandir Uttarakhand: उत्तराखंड, जो न केवल भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, बल्कि एक विश्व विख्यात पर्यटन स्थल भी माना जाता है। हर साल यहाँ लाखों देशी और विदेशी पर्यटक इसकी अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों का अनुभव करने के लिए आते हैं। उत्तराखंड को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी पहचाना जाता है। यही कारण है कि इसे ‘देव भूमि’ के नाम से भी जाना जाता है। केदारनाथ, बद्रीनाथ और तुंगनाथ जैसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में तो अधिकतर लोग जानते हैं, लेकिन गोपीनाथ मंदिर के बारे में शायद कम ही लोगों को जानकारी हो, जहां भगवान शिव की पूजा गोपी के रूप में की जाती है।

इस लेख में, हम आपको Gopinath Mandir Uttarakhand का इतिहास और इससे संबंधित कुछ पौराणिक कथाओं के बारे में बताएंगे, जो इस स्थान को विशेष बनाते हैं और जहां आपको भी एक बार अवश्य जाना चाहिए।

गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड | Gopinath Mandir Uttarakhand

उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, लेकिन इनमें से एक ऐसा मंदिर है जिसका नाम उसके दर्शनार्थी देवता के विपरीत है। यह मंदिर है गोपीनाथ मंदिर। गोपीनाथ का अर्थ होता है गोपियों का नाथ, यानी भगवान कृष्ण। हालांकि, यह मंदिर भगवान कृष्ण के बजाय भगवान शिव को समर्पित है। यह प्राचीन गोपीनाथ मंदिर चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित है।

इस मंदिर की निर्माण अवधि को आठवीं सदी के आसपास माना जाता है, लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर आदि काल से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। गोपीनाथ मंदिर की ऊँचाई 30 फीट की गुंबद से युक्त है। मंदिर के सामने की ओर एक शेर और हाथी की आकृति है, जो तंत्र साधना का प्रमुख प्रतीक मानी जाती है। साथ ही, मंदिर के अग्र भाग में नटराज की एक दिव्य मूर्ति भी स्थापित है।

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नागर शैली में बना है अद्भुत मंदिर 

स्थानीय विशेषज्ञ क्रांति भट्ट के मुताबिक, गोपीनाथ मंदिर 68 फीट ऊंचा है और नागर शैली में बना है। यह मंदिर शिखर, गिर्वा, पादप और स्कंद की संरचनाओं से सुशोभित है। इस मंदिर से जुड़ी कई पुरानी कहानियाँ हैं। इनमें से एक कथा के अनुसार, जब भोलेनाथ गोपीनाथ मंदिर में तपस्या कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन में अपनी सखियों के साथ रास रच रहे थे। भोलेनाथ को भी वृंदावन में रास में शामिल होना था, इसलिए वह रास में गोपी के रूप में गए। लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें पहचान लिया और कहा, ‘गोपियों के नाथ तो आप ही हैं’। इसी कारण से भोलेनाथ को गोपीनाथ के रूप में पूजा जाने लगा।

दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की यहाँ शिवलिंग की पूजा गोपी के रूप में की जाती है, जो इस मंदिर की विशेषता को दर्शाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, जब कामदेव ने भगवान शिव की ध्यान साधना को भंग करने का प्रयास किया था, तब भगवान शिव ने उन्हें दंडित करने के लिए जो त्रिशूल फेंका था, वह त्रिशूल इस मंदिर के आँगन में ही स्थित है। इस कारण इस त्रिशूल को भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।

गोपीनाथ मंदिर का इतिहास | History of Gopinath Temple

गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का इतिहास 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का माना जाता है, जब कत्यूरी शासकों ने इसका निर्माण कराया था। कई विशेषज्ञों के अनुसार, इस मंदिर में पाए जाने वाले अभिलेख कत्यूरी और नेपाली शासकों के इतिहास को भी दर्शाते हैं। यहां 13वीं शताब्दी के कुछ अभिलेख भी मौजूद हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर प्राचीन काल से चमोली की धरती पर स्थित है।

भगवान रुद्रनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल 

भगवान रुद्रनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर है। क्रांति भट्ट के अनुसार, इस मंदिर में भोलेनाथ की पूजा रुद्राभिषेक और विष्णु सहस्त्रनाम के माध्यम से की जाती है। गोपीनाथ मंदिर भगवान भोलेनाथ और कृष्ण के आपसी प्रेम का प्रतीक है। इसके अतिरिक्त, यह मंदिर पंच केदारों में से चौथे केदार भगवान रुद्रनाथ का शीतकालीन निवास स्थान भी है।

श्री गोपीनाथ मंदिर कहाँ है? | Where is Shri Gopinath Temple?

गोपीनाथ प्राचीन मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित है। इसे बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के मार्ग के मध्यस्थल के रूप में माना जाता है। यह मंदिर गोपीनाथ से लगभग 42 किलोमीटर और बद्रीनाथ से लगभग 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा, यह कर्णप्रयाग से 38 किलोमीटर और नंदप्रयाग से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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भक्तों की भीड़ उमड़ती हैं यहां

Gopinath Mandir Uttarakhand के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है और शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां दर्शन करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर, यहां स्थानीय निवासियों के साथ-साथ राज्य के विभिन्न हिस्सों से भी भक्तों की बड़ी संख्या पहुंचती है। इसके अतिरिक्त, सावन के सोमवार को हजारों लोग यहां गंगा जल अर्पित करने के लिए आते हैं।

दोस्तों, एक बार आप गोपीनाथ मंदिर आ गए तो यहाँ मन को शांति बहुत मिलती है ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान् शिव को जल व बेलपत्री अर्पण  करता है उसके सारे दुःख दूर हो जाते है ।

यदि आपको यह लेख पसंद आया हो,  तो इसे अपने दोस्तों इस मंदिर के बारे में जरूर बताये ताकि जो भक्त यहाँ जाने की सोच रहे है वो इस मंदिर के दर्शन कर सके। हमसे जुड़ने के लिए हमारे Contact Us पेज पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे। 

                                                                              धन्यवाद!

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