Linguda Vegetable: लिंगुडा पहाड़ो पर होने की वजह से पहाड़ी लोंगो की भाषा के अनुसार इसका नाम गढ़ावाली में लिंगुडा पड़ा | पहाड़ कि भौगोलिक स्तिथि के अनुसार लगभग 40-50 किलो०मी० के बाद गढ़वाली भाषा बदलती रहती है तो वंहा पर लिंगुडा को अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है इसके तने लम्बे होने कि बजाय आगे से मुडे रहते है जो कि लिंगुडा को अलग वनस्पतियों बना देता है|
उत्तराखंड के पहाडो में भिन्न – भिन्न प्रकार की वनस्पतिया केऔषधियों से भरा पहाड़ रहता है इन्ही में से एक पौधा लिंगुडा है जो कि झाड़ी के रूप में उगता है | हालाँकि मनुष्य इसे अपने खाने के प्रयोग में लाते है, जो खाने में बेहद ही स्वादिष्ट व रोगों से लड़ने में रामबाण औषधि है| लिंगुडे कि खासियत यह है कि ये पहाड़ो पर नदियों के किनारों पर खुद ही उग जाता है जबकि यह घास प्रजाति में झाडी के रूप में उगता है| चलिए लिंगुडा (Linguda) को विस्तार से जानते है |
लिंगुडा (Linguda) सब्जी के फायदे जानकर हो जायेंगे हैरान
लिंगुडा (Linguda) एक पहाड़ी सब्जी है जिसे सेहत के लिए बरदान माना जाता है यह सब्जी शरीर में होने वाले कई रोगों से लड़ने कि क्षमता रखता है यह वनस्पति एक खाद्य फर्न है. इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन्स, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, कॉपर,आयरन, विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्पलेक्स, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कैरोटीन,फैटी एसिड, सोडियम और कई तत्व पाए जाते हैं| जिन लोंगो की इम्युनिटी पवार कमजोर होती है उन लोंगो को लिंगुड़े की सब्जी खानी चहिये | कई ऐसे फायदे है जो कि निम्न है –
- पाचन शक्ति को बढाने में मददगार है
- हार्ट के मरीजो के लिए यह फायदेमंद है |
- आँखों की रोशनी हो बढाने में मदद करता है |
- खून की कमी व हीमोग्लोबिन बढ़ने में मदद करता है |
- लिंगुडा सब्जी में पोटेसियम की मात्रा होती है जिससे बीपी कंट्रोल करने में मदद करता है |
लिंगुडा (Linguda) कहा और कैसे पाया जाता है
जैसे ही पहाड़ो पर बरसात का मौसम शुरू होता है वैसे ही पहाड़ी लोंगो के मन में सबसे पहले लिंगुडा के बारे में ही सोचते है क्यूंकि ये बिना मेहनत के उग जाता है यह हर साल माह जुलाई से सितम्बर तक उगता है जो कि बरसात में छोटी छोटी नदियों के किनारों के नमी वाले क्षेत्रों में उगता है| बस इसे तोड़ना बड़ा ही मुस्किल है क्यूकि नदियों के किनारे बरसतो में फिसलन काफी रहती है लेकिन पहाड़ी लोंगो के लिए यह कार्य आसान रहता है|
लिंगुडा पहाड़ी लोगो के लिए एक आमदनी का श्रोत भी है जिसे कुछ लोग अपनी रोजमर्रा के खर्चो के लिए इसे 30-40 रुपये की गड्डी बनाकर अपनी स्थानीय बाजारों में बेचने का कार्य करते है | कुछ लोग जिनके रिश्तेदार शहरों में रहते है उनके लिए भी यह सब्जी शहरों में भेजी जाती है |
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