Site icon PahadiSuvidha: Explore Travel, Culture, Food & Local News

Pahadi Kakadi Ka Rayata: स्वाद और सेहत का अनोखा संगम

Pahadi Kakadi Ka Rayata

पहाड़ो की बात हो और पहाड़ी ककड़ी (Pahadi Kakadi Ka Rayata) का सीजन ना हो, उत्तराखंड के पहाड़ी लोग ककड़ी को हमेशा से बरसतो में खेती करना पसंद करते है हालांकि इसकी बेल होती है। इसकी सबसे खास बात ये है कि यह देशी खेरे के मुकाबले काफी स्वादिस्ट और पहाड़ी व्यंजनों के माहौल को कुछ ज्यादा ही खास बना देता है। उत्तराखंड के पारम्परिक व्यंजन में पहाड़ी ककड़ी का रायता लाजवाब होता है। जो कई व्यजनो के साथ का स्वाद कई गुना बढ़ा देता है।

पहाड़ी ककड़ी (Pahadi Kakadi) : स्वाद में खास और सेहत से भरपूर

पहाड़ी ककड़ी, मैदानी खीरे से बिल्कुल अलग होती है। यह आकार में मोटी, बीजों से भरपूर और स्वाद में अनूठी होती है। इस ककड़ी को स्थानीय लोग न केवल सलाद और रायते में इस्तेमाल करते हैं, बल्कि इसे पारंपरिक रूप से पहाड़ी नमक (लूण) के साथ भी खाते हैं।

पहाड़ी ककड़ी पूरी तरह जैविक होती है, क्योंकि इसे उगाने में रासायनिक खादों या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता। इसकी उच्च पोषण क्षमता और प्राकृतिक गुण इसे बाजार में काफी लोकप्रिय बनाते हैं। इसमें मौजूद मिनरल्स, विटामिन ए, बी, और सी सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।

यह भी पढ़े: माल्टा का रसीला रायता सर्दियों में बनाए चुस्त-दुरुस्त

पहाड़ी ककड़ी का रायता बनाने की विधि

आवश्यक सामग्री:

 

विधि:

  1. ककड़ी तैयार करें:
    • ककड़ी को धोकर छील लें और कद्दूकस कर लें।
    • सुनिश्चित करें कि ककड़ी का पानी निचोड़ लें ताकि रायता अधिक गीला न हो।
  2. दही तैयार करें:
    • किसी भी एक बाउल में दही को डालें और दही को अच्छी तरह से फेंट लें।
    • इसमें काला नमक, पीसी राई, और कटी हुई हरी मिर्च मिलाएं।
  3. तड़का लगाएं:
    • एक पैन में तेल गर्म करें।
    • इसमें सरसों के बीज डालें और जब वे चटकने लगें, तो कटा हुआ लहसुन डालें।
    • हल्का भूनकर इस तड़के को रायते में मिला दें।
  4. रायता बनाएं:
    • कद्दूकस की हुई ककड़ी को दही के मिश्रण में मिलाएं।
    • अच्छी तरह से मिलाने के बाद हरा धनिया डालकर सजाएं।
  5. सर्व करें:
    • रायते को ठंडा करें और पराठे, पुलाव, या किसी भी मुख्य व्यंजन के साथ परोसें।

पहाड़ी ककड़ी के औषधीय लाभ

पहाड़ी ककड़ी खाने के फ़ायदे हैं: 

पारंपरिक खेती और आर्थिक महत्व

उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में पहाड़ी ककड़ी बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। यह फसल किसानों की आय का एक मजबूत स्रोत है। जैविक और प्राकृतिक होने के कारण बाजार में इसकी मांग और कीमत दोनों अधिक होती हैं।

तो इस बरसात, पहाड़ी ककड़ी का रायता बनाएं और अपने खाने का स्वाद और सेहत दोनों का ख्याल रखें। और पढ़ते रहिये पहाड़ी सुविधा

Exit mobile version