दोस्तों, सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और यह महादेव के साथ-साथ उनके भक्तों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इस महीने के हर सोमवार को भक्तगण गंगा जल को महादेव को अर्पित करते हैं और महादेव उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। भारत में स्थित लगभग हर महादेव मंदिर प्राचीन है और इन मंदिरों से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं। उत्तराखंड में स्थित एक ऐसा ही प्राचीन और पौराणिक मंदिर है, जिसे “ताड़केश्वर महादेव मंदिर” के नाम से जाना जाता है।
ताड़केश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की एक बहुत पुरानी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो हजारों साल पुरानी है। सावन के महीने में इस मंदिर के दर्शन को बहुत ही शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि सावन में महादेव को अर्पित किए गए जल से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस ब्लॉग में हम ताड़केश्वर महादेव मंदिर से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करेंगे। आप इस ब्लॉग के माध्यम से जान सकते हैं कि आप ताड़केश्वर महादेव मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं, यहाँ ठहरने के स्थान कौन-कौन से हैं, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां। आइए, जानते हैं ताड़केश्वर महादेव मंदिर के बारे में..
ताड़केश्वर महादेव मंदिर कहाँ है? | Where is Tarkeshwar Mahadev Temple?
ताड़केश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में, लैंसडाउन से 38 किलोमीटर दूर गुंडलखेत गांव के पास स्थित है। यह मंदिर एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल है, जिसमें महादेव से जुड़ी एक दिलचस्प कथा छिपी हुई है। इस मंदिर को चारों ओर से देवदार के घने वृक्षों ने घेर रखा है, जो इसे बहुत ही सुंदर बनाते हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए आप लैंसडाउन से गाड़ी की व्यवस्था कर सकते हैं।
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ताड़केश्वर महादेव मंदिर की कहानी | Story of Tarkeshwar Mahadev Temple
ताड़केश्वर महादेव मंदिर के पीछे एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है, जो हजारों साल पुरानी मानी जाती है। कथा के अनुसार, कई सदियाँ पूर्व इस स्थान पर एक राक्षस ताड़कासुर ने भगवान शिव की आराधना की थी, ताकि वह अमरता का वरदान प्राप्त कर सके। ताड़कासुर की कठिन तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उसे यह वरदान दिया कि उसका वध केवल भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही किया जा सकता है, अन्य कोई उसे पराजित नहीं कर सकेगा। इस वरदान के बाद ताड़कासुर ने पृथ्वी पर आतंक फैलाना शुरू कर दिया और निर्दोष साधु-संतों की हत्या करने लगा।
ताड़कासुर के आतंक से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव से उनकी रक्षा की प्रार्थना करने लगे। इस पर भगवान शिव ने अपने पुत्र कार्तिकेय को ताड़कासुर का वध करने के लिए भेजा। कार्तिकेय ने ताड़कासुर को पराजित कर दिया। मरते समय ताड़कासुर ने भगवान शिव से क्षमा मांगी, जिसे शिव ने स्वीकार कर लिया और उसे वरदान दिया कि कलयुग में वह मेरे नाम से जाना जाएगा।
जिस स्थान पर ताड़कासुर ने भगवान शिव की आराधना की थी, वहीं आज ताड़केश्वर महादेव मंदिर स्थित है। पहले यहां सिर्फ एक शिवलिंग की पूजा होती थी, लेकिन अब यहाँ तांडव करते हुए भगवान शिव की मूर्ति भी स्थापित की गई है। यह मूर्ति शिवलिंग के पास ही प्रकट हुई थी। इस मंदिर में हर साल शिवरात्रि और सावन के महीने में भक्तों की बड़ी भीड़ जुटती है। हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं।
मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर एक और कथा लिखी हुई है, जो बताती है कि यह मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है और एक सिद्ध पीठ है। इसे भगवान शिव के स्वरूप संत अजन्म को समर्पित किया गया है। बोर्ड पर लिखा है कि संत अजन्म एक तेजस्वी संत थे, जिनके एक हाथ में त्रिशूल और चिमटा रहता था और दूसरे हाथ में डमरू। वे हमेशा शिव की भक्ति में लीन रहते थे और जो भी व्यक्ति उन्हें गलत कार्य करते हुए दिखता, उसे फटकारते और शारीरिक दंड की बात कहते थे।
संत की इसी आदत के कारण इस मंदिर का नाम ताड़केश्वर महादेव मंदिर रखा गया। ‘ताड़ना’ का अर्थ होता है – फटकारना, डांटना, पीटना और दंड देना।
मंदिर और उसके आसपास का विवरण | Details of the temple and its surroundings
ताड़केश्वर महादेव मंदिर देवदार के हरे-भरे जंगल के मध्य स्थित है। इस मंदिर के समीप एक कुंड है, जिसमें स्नान करने के बाद श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा के लिए मंदिर में प्रवेश करते हैं। इस कुंड का पानी जमीन से सीधे आता है और यह सालभर भरपूर रहता है, कभी सूखता नहीं है। मंदिर के पास एक धर्मशाला भी है, जहां श्रद्धालु ठहर सकते हैं। यहां भंडारे की भी व्यवस्था है, और यदि कोई भंडारा आयोजित करना चाहता है तो वह मंदिर समिति से संपर्क कर सकता है।
मुख्य मंदिर के चारों ओर सात देवदार के पेड़ लगे हुए हैं, जिन्हें माता पार्वती के रूप माना जाता है। ये पेड़ मंदिर को धूप से बचाते हैं और छाया प्रदान करते हैं। इन देवदार के पेड़ों की एक और विशेषता है कि यहां कुछ पेड़ त्रिशूल के आकार के भी देखे जा सकते हैं।
ताड़केश्वर महादेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Tarkeshwar Mahadev Temple
आप साल के किसी भी समय ताड़केश्वर महादेव मंदिर आ सकते हैं। हालाँकि, यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय मानसून की शुरुआत का समय या अगस्त से अक्टूबर का महीना माना जाता है। सावन और शिवरात्रि के दौरान भी यहां आना बहुत शुभ होता है, इसलिए आप इन खास मौकों पर भी मंदिर जाने के बारे में सोच सकते हैं।
तारकेश्वर सिद्धपीठ में कहां ठहरे? | Where did Tarkeshwar stay in Siddha Peeth?
ताड़केश्वर सिद्ध पीठ की यात्रा के दौरान, यदि आप लैंसडाउन से आते हैं, तो आपको यात्रा पूरी करने के लिए लगभग 38 किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा। यदि आप एक ही दिन में यात्रा पूरी नहीं कर पाते हैं, तो ताड़केश्वर मंदिर के पास एक आश्रम और धर्मशाला है जहाँ आप ठहर सकते हैं। मंदिर के करीब ही गुंडलखेत नामक गांव है, जो करीब 2 किलोमीटर दूर है, जहां कुछ ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध है। अगर आप अधिक आरामदायक होटल की तलाश में हैं, तो लैंसडाउन में रुकना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
धर्मशाला में कमरे की बुकिंग आप फोन के माध्यम से कर सकते हैं या वहां पहुंचकर भी रूम ले सकते हैं। धर्मशाला में एक व्यक्ति के लिए कमरे का किराया 700 रुपये है, जिसमें दो समय का भोजन भी शामिल है। धर्मशाला और आश्रम से संपर्क करने के लिए निम्नलिखित नंबर पर कॉल कर सकते हैं: मोबाइल: 9761490748 व्हाट्सएप: 7895432089
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ताड़केश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुँचें? | How to reach Tarkeshwar Mahadev Temple?
ताड़केश्वर महादेव मंदिर, लैंसडाउन से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पहुंचने के लिए आपको पहले लैंसडाउन तक आना होगा। लैंसडाउन से, आप टैक्सी बुक कर सकते हैं या कुछ शेयरिंग गाड़ियों के माध्यम से गुंडलखेत गांव तक पहुँच सकते हैं। इसके बाद, मंदिर तक 2 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना होगा।
ताड़केश्वर महादेव मंदिर के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन कोटद्वार और ऋषिकेश हैं। इन दोनों स्टेशनों से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक पहुंचने की व्यवस्था करनी होगी। आप ऋषिकेश या कोटद्वार से सीधे ताड़केश्वर के लिए गाड़ी बुक कर सकते हैं। यदि आप हवाई यात्रा का विकल्प चुनना चाहते हैं, तो देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट ताड़केश्वर के सबसे करीब है।
ताड़केश्वर महादेव मंदिर के आसपास कुछ दर्शनीय स्थल | Some sightseeing places around Tarkeshwar Mahadev Temple
ताड़केश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के बाद आप इसके आस-पास के कुछ सुंदर पर्यटन स्थलों का आनंद ले सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख स्थलों की जानकारी दी गई है:
1. लैंसडाउन | Lansdowne
कोटद्वार से लैंसडाउन पहुंचने पर, पहले ताड़केश्वर मंदिर के दर्शन करें। मंदिर की यात्रा के बाद, आप लैंसडाउन की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। यह क्षेत्र भी बहुत आकर्षक है और यहाँ कई मनमोहक जगहें देखने के लिए हैं।
2. भैरवगढ़ी | Bhairavgarhi
ताड़केश्वर महादेव मंदिर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भैरवगढ़ी में भगवान शिव के रूप काल भैरव के दर्शन किए जा सकते हैं।
3. हनुमान गढ़ी | Hanuman Garhi
भैरवगढ़ी से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर स्थित हनुमानगढ़ी है। यहां हर साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
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[…] ताड़केश्वर महादेव मंदिर चारों ओर से बलूत और देवदार के हरे-भरे वनों से घिरा हुआ है, जो इसे एक अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करते हैं। मंदिर के पास ही कई छोटे-छोटे झरने बहते हैं, जो इस जगह को और भी मनमोहक बनाते हैं। यह मंदिर सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है, और यहां आप सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि के मौके पर यहां का दृश्य कुछ अलग ही होता है। इस पावन अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। […]