पौड़ी जिले के थलीसैन क्षेत्र में बिजली विभाग के अनुबंधित कर्मचारियों को लगातार एक साल से उनका वेतन नहीं मिला है। यह मामला सामने आया है जहां ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों के वेतन रोकने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि कर्मचारी बिना रुके बिजली सेवाओं को संचालित करने में जुटे हुए हैं।
वेतन न मिलने से अनुबंधित कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ीं
थलीसैन क्षेत्र में बिजली विभाग का ठेका संभालने वाले एक निजी ठेकेदार (मै0 जगदीश सिंह) ने पिछले 6 माह से अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि ठेकेदार द्वारा EPF भी इनका काटा भी नहीं जा रहा है। इन कर्मचारियों में तकनीशियन, लाइनमैन और सहायक श्रमिक शामिल हैं, जो बिजली लाइनों की मरम्मत, ट्रांसफार्मर संधारण और आपातकालीन सेवाओं में दिन-रात काम कर रहे हैं। कई कर्मचारियों ने “पहाड़ी सुविधा” को बताया कि उन्हें न तो नियमित वेतन मिल रहा है और न ही ठेकेदार या विभाग की तरफ से कोई स्पष्टीकरण दिया जा रहा है।
मोहन सिंह नेगी (सुपर वाइजर), एक लाइनमैन, ने कहा, “मैंने पिछले 6 महीने में एक पैसा भी नहीं देखा। घर का किराया, बच्चों की पढ़ाई और बीमार पत्नी का इलाज सब उधार से चल रहा है। अब तो साहूकार भी मुंह मोड़ने लगे हैं।” साथ ही ठेकेदार पर आरोप भी लगाया है कि उनको सिर्फ अपने से ही मतलब रखते है। इस मौके पर देवेन्द्र सिंह, रमेश सिंह, संतन सिंह, आनंद सिंह, दीवान सिंह, रवींद्र सिंह आदि शामिल रहे।
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वेतन कम मिलने का मामला
उपखंड अधिकारी कार्यालय थैलीसैन के उपखंड अधिकारी अभिषेक नेगी द्वारा बताया गया है कि कर्मचारियों का निर्धारित वेतन की जगह पर ठेकेदार उसका आधा वेतन अपने कर्मचारियों को देता है जो कि गलत है।
धूमाकोट में मीटर रीडरों व लाइन मैन की बदहाली
धूमाकोट उप-संस्थान में हालात और भी चिंताजनक हैं। यहां के कर्मचारियों को 6 महीने से वेतन नहीं मिला है, जिनमें मीटर रीडर जो बिजली विभाग की रीड की हड्डी कहे जाने वाले, ये रीडर बिजली विभाग के लिए राजस्व जुटाने वाली महत्वपूर्ण कड़ी हैं, लेकिन उनकी खुद की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। मीटर रीडरो, ने कहा, “हम बिना वेतन के काम कर रहे हैं। बच्चों की फीस और घर के खर्चे चलना बड़ा ही कठिन होता जा रहा है। अब तो काम करने का मन नहीं करता।”
ठेकेदार और विभाग के बीच उलझे जवाब
सूत्रों के अनुसार, ठेकेदार ने बिजली विभाग से भुगतान प्राप्त करने का दावा किया है, लेकिन कर्मचारियों को उनका हक दिलाने में आनाकानी की जा रही है। वहीं, बिजली विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “ठेकेदार को सभी भुगतान समय पर किए गए हैं। हम कर्मचारियों के वेतन के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं हैं।”
हालांकि, कर्मचारी इस बयान से असहज है कि, “अगर विभाग ने पैसे दिए हैं, तो ठेकेदार उन्हें क्यों नहीं दे रहा? तो ऐसे मे विभाग को हमारी सुनवाई करनी चाहिए।”
कर्मचारियों ने शुरू किया आंदोलन
वेतन न मिलने के विरोध में कर्मचारियों ने पिछले सप्ताह थलीसैन ब्लॉक कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री कार्यालय तक मांग पत्र भेजा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय नेताओ ने भी कहा, “यह शोषण है। सरकार को तुरंत ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और कर्मचारियों को उनका हक दिलाना चाहिए।”
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
थलीसैन के ग्रामीण भी कर्मचारियों के समर्थन में आगे आए हैं। स्थानीय लोगों ने कहा, “ये कर्मचा री बारिश-ठंड में भी बिजली ठीक करने आते हैं। उनके साथ यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
VOM न्यूज चैनल के रिपोर्टर सतेंद्र रावत ने हाल ही में यह अहम रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने कुछ लड़कों से जुड़ी जानकारी साझा की। इस खबर को “Amar Ujala” में प्रकाशित किया गया।
Amar Ujala report ke according…
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निष्कर्ष: जवाबदेही की मांग
“पहाड़ी सुविधा” की टीम ने इस मामले की छानबीन कि, लेकिन परिणाम उल्टा मिला। यह मामला उत्तराखंड में अनुबंधित श्रमिकों की सुरक्षा और ठेका प्रणाली में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। स्थानीय लोगों और कर्मचारियों की मांग है कि राज्य सरकार तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करे और श्रमिकों का हक दिलाए।
लेखक: पहाड़ी सुविधा टीम
वेबसाइट: www.paharisuvidha.com
यह खबर पहाड़ी सुविधा के ग्रामीण पत्रकारिता अभियान का हिस्सा है। यदि आपके क्षेत्र में भी कोई ऐसी समस्या है, तो हमें shudhpahadi4@gmail.com पर सूचित करें।
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