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Garjiya Devi Temple: उत्तराखंड – आस्था और प्रकृति का संगम

girija devi temple

दोस्तों यह मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित रामनगर के कार्बेट नेशनल पार्क से 14 कि0मी0 दूर पर स्थित है। जहा शांत स्वाभाव वाली कोसी नदी के पास में है। इस मंदिर की अपनी एक अलग कहानी और मान्यता है, जो न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक का केंद्र भी है।  ऐसे ही एक और कहानी और बेहद ही खूबसूरत मंदिर के बारे में आप लोंगो को पहाड़ी सुविधा के माध्यम से इस मंदिर का इतिहास और धार्मिक मह्त्व के बारे में विस्तार से बता रहे है। 

गर्जिया देवी मंदिर (Garjiya Devi Temple) का परिचय

यह हिन्दुओ का पवित्र स्थल है, जिसे स्थानीय लोग गर्जिया माता मंदिर (Garjiya Devi Temple) नाम से भी जानते है। इस मंदिर को माँ पार्वती के अवतार में भी पूजा करते है। यह कोसी नदी के बीचों-बीचों एक छोटी सी पर्वत के ऊपर स्थित है, जिसे ‘गर्जिया पर्वत’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके चारो तरफ शांत वातावरण और नदी के शांत प्रवाह से मदिर अपनी ओर काफी आकर्षित करता है जो कि मदिर की आध्यात्मिम का प्रतीक भी है। 

गर्जिया देवी मंदिर का रहस्य

यह मंदिर रहस्य और चमत्कारों से भरा हुआ है। हिन्दू धर्म के मान्यतानुसार इस मंदिर में कभी यहाँ शेर परिक्रमा किया करते थे, जिसके कारण यहाँ का नाम गर्जिया मंदिर (Garjiya Devi Temple) पड़ा। यह भी कहा जाता है की जो पर्वत श्रखला इस मंदिर पर बसा हुआ है वह किसी पर्वत से टूट कर बह रहा था तभी भगवान भैरव बाबा ने इसे रोकने के लिए ‘थिरो बैडा थिरो’ अर्थात ‘ठहरो बहन ठहरो’ कहा था। तब से मान्यता है कि वहा पर बिना भैरव बाबा के दर्शन बिना गर्जिया मंदिर के दर्शन अधुरा माना जाता है। भगवान भैरव बाबा को यहाँ पर खिचड़ी का प्रसाद विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।

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कुछ लोगो का यह भी कहना है कि यहाँ भक्तो की मनोकामना पूर्ण करने के लिए गर्जिया माता स्वयं प्रकट हुयी थी। जिसका स्कन्द पुराण में भी जिक्र किया गया है। यह पवित्र स्थान भगवान शिव और मां पार्वती के प्रेम का प्रतीक है। इस स्थान पर भगवान शिव ने माता पार्वती को आशीर्वाद दिया था।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगती है यहाँ पर भीड़

कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहा बहुत बड़ा मेला लगता है, जो एक से दो दिनों का लगता है जिसकी शोभा बढाने के लिए बहुत दूर-दूर से लोगो की भीड़ लगी रहती है। इस दिन श्रधालू गंगा स्नान करने के लिए विशेष रूप से भीड़ लगी रहती है। कहते है यहाँ गंगा स्नान से मनोकामना पूर्ण होती है।

मंदिर का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में यह मंदिर विशेष महत्व रखता है। यहा मान्यता है कि नव विवाहित जोड़े यहां दर्शन करने से नए जीवन के लिए मन्नत मंगाते है और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्ति होती है।  गर्जिया माता देवी यहा सतोगुणी रूप में विद्यमान है जो की श्रधालुओ की सच्ची श्रधा से प्रसन्न हो जाती है। मनोकामना पूर्ण हो जाने के बाद यहा श्रद्धालू घंटिया चढ़ाया करते है।

 ये दिन मंदिर के प्रमुख उत्सवों के रूप में मनाए जाते हैं।

कोसी नदी और मंदिर की भौगोलिक विशेषताएं

कोसी नदी के बीचों-बीच एक छोटी सी पर्वत श्रखला की चोटी पर बसा यह मंदिर जिसकी चढ़ाई चढ़ने में कम से कम 90 सीढियों को चढ़ाना पड़ता है, अपनी ओर खासा आकर्षित करता है। यहा का शांत वातावरण मन को बहुत शांति प्रदान करता है। जिसे दूर-दूर से लोंगो की भीड़ इस वातावरण के पास लाने को विवस करता है।

गर्जिया देवी मंदिर तक कैसे पहुंचें?

रामनगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे अच्छा विकल्प है।

यात्रा के अनुभव

गर्जिया देवी मंदिर के दर्शन करने के बाद यहा यात्रा बेहद ही यादगार रहती है। यहा आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक प्राक्रतिक सौन्दर्य और अध्यात्मिक का भरपूर आनंद लेते है।

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स्थानीय परंपराएं और रीति-रिवाज

शुरू से स्थानीय लोग यहा की परम्परा और रीति-रिवाजो को विशेष महत्व रखते है। यहा शुभ कार्य करने के लिए पहले माता की पूजा-अर्चना की जाती है।

निष्कर्ष

रामनगर से गर्जिया देवी मंदिर तक जाने से पहले रोड के किनारे भी माता का मंदिर बना हुआ है, जो लोग मंदिर तक नहीं जा पाते वे यहा पर माता का आशीर्वाद व टीका लगाया जाता है। यह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सुंदरता का भी प्रतीक है। यहां की यात्रा करने से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव एवं खुशहाल जीवन प्रदान करती है।

यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो गर्जिया देवी मंदिर के साथ-साथ कोर्बेट नेशनल पार्क को अपने यात्रा में जरूर शामिल करें। यह पवित्र स्थान होने के साथ साथ आपकी आत्मा को शांति प्रदान करेगा, बल्कि प्रकृति के करीब ले जाकर आपको नई वन्य जीवो के साथ शुद्ध वातावरण की अनुभूति देगा।

पढ़ते रहिए ‘पहाड़ी सुविधा’ और जानिए उत्तराखंड के अनमोल खजाने।

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