5 Traditional Pahadi Tadka 

5 पारंपरिक पहाड़ी तड़के जो आपके खाने को बना देंगे और भी लाजवाब

भारत की विविधता सिर्फ संस्कृति और भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर भोजन और पकाने के तरीके पर भी साफ नजर आता है। देश के हर कोने में मसाले और तड़के अलग होते हैं, और खासतौर पर पहाड़ी राज्यों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में तो रसोई की दुनिया बिल्कुल अलग ही होती है। यहां के स्थानीय तड़के और मसाले न सिर्फ खाने को स्वादिष्ट बनाते हैं, बल्कि उनमें सेहत का खजाना भी छिपा होता है।

🍽 पहाड़ी तड़के की खासियत

उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में खाने की शैली पारंपरिक जड़ी-बूटियों, देसी नमक और घर में तैयार ताजे मसालों पर आधारित होती है। यहां के मसाले केवल स्वाद ही नहीं, सेहत के लिहाज़ से भी फायदेमंद माने जाते हैं। स्थानीय स्वाद और घरेलू पद्धति से बनाए गए यह तड़के आज भी गांव-घर में खूब उपयोग किए जाते हैं।

अगर आप भी खाने के शौकीन हैं और एक जैसे स्वाद से बोर हो चुके हैं, तो एक बार पहाड़ी तड़कों को अपने भोजन में शामिल करें। आइए जानते हैं ऐसे पांच अनोखे पारंपरिक पहाड़ी तड़के (Traditional Pahadi Tadka) के बारे में, जो आपके साधारण खाने को भी बना सकते हैं खास।

5 पारंपरिक पहाड़ी तड़के | 5 Traditional Pahadi Tadka 

🧂 1. पिस्यू लूण – पहाड़ों का पारंपरिक नमक

Pisyu Loon

पिस्यू लूण (Pisyu Loon) उत्तराखंड का बेहद प्रसिद्ध मसाला नमक है, जिसे खासतौर पर घर पर तैयार किया जाता है। “पिस्यू” का मतलब है पीसना और “लूण” का अर्थ होता है नमक। यह नमक लहसुन, हरी मिर्च, हींग, हरा धनिया और सेंधा नमक मिलाकर सिलबट्टे या मिक्सर में पीसकर तैयार किया जाता है।

इस्तेमाल कैसे करें?

  • पराठे के साथ खाएं
  • फलों और सलाद पर छिड़कें
  • दाल-चावल या खिचड़ी के साथ लें

इसका तीखा और चटपटा स्वाद खाने को दे नया ज़ायका।

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🌱 2. जखिया – पहाड़ों का खास तड़का

Jakhiya

जखिया (Jakhiya) एक खास तरह का बीज होता है, जो देखने में राई जैसा होता है लेकिन इसका स्वाद और खुशबू पूरी तरह अलग होती है। इसे अधिकतर पहाड़ी व्यंजन जैसे फूल गोभी, आलू-टमाटर या पल्यों में, सब्जियों और दालों में तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

जखिया की खासियत

  • जीरे के मुकाबले अधिक क्रंची
  • सुगंध से भरपूर
  • पचाने में हल्का

तड़के में जखिया डालते ही जो आवाज और खुशबू आती है, वो भूख को कई गुना बढ़ा देती है।

🌿 3. जम्बू – सुगंधित जड़ी-बूटी

जम्बू (Jambu) एक सुगंधित जड़ी-बूटी है, जो खासतौर पर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों में पाई जाती है। इसका उपयोग सूखी दालों, विशेषकर भट्ट की चुरकानी और अरहर की दाल में किया जाता है।

तरीका और स्वाद

  • घी में भूनकर तड़का बनाएं
  • सूखा मसाला बनाकर स्टोर करें
  • पिस्यू लूण में मिलाकर नया फ्लेवर पाएं

जम्बू का तीखा और शुद्ध पहाड़ी फ्लेवर आपके खाने में गहराई और मिट्टी की खुशबू जोड़ता है।

🌰 4. भांग की चटनी – चटपटे स्वाद में छुपा पोषण

Bhaang ki Chutney

भांग का नाम सुनते ही लोग भ्रमित हो जाते हैं, लेकिन भांग की चटनी (Bhaang ki Chutney) उत्तराखंड की एक पारंपरिक और अत्यंत लोकप्रिय डिश है। इसे भांग के बीजों (Cannabis Seeds) से बनाया जाता है, जो नशा नहीं बल्कि पोषण प्रदान करते हैं।

सामग्री व विधि

  • भांग के बीज, हरा धनिया, हरी मिर्च, लहसुन, अदरक, नींबू का रस
  • चाहें तो ऊपर से सूखी लाल मिर्च और घी का तड़का भी लगा सकते हैं

इसे पकौड़े, पराठे, दाल-चावल या स्नैक्स के साथ परोसें, स्वाद ऐसा कि हर कोई पूछे – ये क्या है?

🧄 5. पहाड़ी चाट मसाला

Pahadi Chaat Masala

जब बात हो चाट की, तो बाजार के चाट मसाले छोड़कर एक बार घरेलू पहाड़ी चाट मसाला (Pahadi Chaat Masala) जरूर आजमाएं। यह मसाला एकदम प्राकृतिक और पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है।

कैसे बनाएं?

  • सूखा कच्चा आम, पुदीना, हरी मिर्च, हरा प्याज, लहसुन और नमक को मिलाकर दरदरा पीस लें।
  • तैयार पाउडर को एयर टाइट डिब्बे में स्टोर करें।

इसे फलों, सलाद, रायते या स्नैक्स पर छिड़कें या चटनी बनाकर परोसें – हर बार एक नया स्वाद मिलेगा।

पहाड़ी मसालों की खासियत

मसाला मुख्य सामग्री उपयोग
पिस्यू लूण नमक, लहसुन, हरी मिर्च, धनिया चटनी, पराठे, फल
जखिया जंगली बीज सब्जियों का तड़का
जम्बू पहाड़ी जड़ी-बूटी दाल, सूखा मसाला
भांग की चटनी भांग बीज, धनिया, मिर्च स्नैक्स, दाल
पहाड़ी चाट मसाला आमचूर, पुदीना, प्याज पत्ता फल, रायता, चटनी

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✅ क्यों ट्राई करें ये पहाड़ी तड़के?

✔️ खाने में देसी स्वाद जोड़ते हैं

✔️ प्राकृतिक और सेहतमंद सामग्री से बने होते हैं

✔️ बाजार के मिलावटी मसालों से कहीं बेहतर

✔️ पारंपरिक पहाड़ी संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलता है

🔚 निष्कर्ष

उत्तराखंड की पारंपरिक रसोई सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य में भी समृद्ध है। यहाँ के मसाले और तड़के एकदम देसी और प्राकृतिक होते हैं, जो न केवल स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि पाचन, ऊर्जा और प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं। अगर आप भी एक जैसा खाना खाकर थक चुके हैं, तो इन पारंपरिक पहाड़ी मसालों और तड़कों को जरूर आजमाएं।

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