उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में जौनसार क्षेत्र की अनोखी परंपराएं और रीति-रिवाज हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं। इस क्षेत्र की संस्कृति को करीब से देखने की चाहत रखने वालों के लिए एक खास मौका आ रहा है। उत्तराखंड की पहली जौनसारी भाषा में बनी फीचर फिल्म ‘मैरै गांव की बाट’ (Maerey Gaon Ki Baat) 5 दिसंबर को रिलीज हो गयी है।
फिल्म का प्रोमो और पोस्टर लॉन्च
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में फिल्म का प्रोमो और पोस्टर लॉन्च किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह राज्य के लिए गर्व की बात है कि जौनसार की संस्कृति पर आधारित पहली फीचर फिल्म बनाई गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह फिल्म जौनसार बावर की परंपराओं और संस्कृति को देश-विदेश में लोकप्रिय बनाएगी।
सरकार की पहल और सहयोग
उत्तराखंड सरकार राज्य की क्षेत्रीय फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिए पहले से ही फिल्म नीति के तहत कई प्रयास कर रही है। सरकार क्षेत्रीय संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने वाली फिल्मों के निर्माण और प्रचार-प्रसार के लिए 30 प्रतिशत अनुदान राशि भी प्रदान कर रही है। सीएम धामी ने जनता से अपील की कि वे इस फिल्म को ज्यादा से ज्यादा संख्या में देखें ताकि क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा मिल सके।
जौनसार की अनूठी परंपराएं और फिल्म की कहानी
फिल्म ‘मैरै गांव की बाट’ में जौनसार बावर की अनोखी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को खूबसूरती से चित्रित किया गया है। खासतौर पर शादी की रस्में, जहां दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर आती है, जो इस क्षेत्र की सदियों पुरानी परंपरा है। इस अनूठे रीति-रिवाज को फिल्म में शानदार ढंग से फिल्माया गया है।
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फिल्म निर्माण और लोकेशन
फिल्म का निर्देशन अनुज जोशी ने किया है और इसकी परिकल्पना केएस चौहान द्वारा की गई है। फिल्म की शूटिंग जौनसार बावर के खूबसूरत गांवों फटेऊ, इच्छला, झुसो, भाकरो और अन्य जगहों पर की गई है। इसके अलावा जौनसार के प्रसिद्ध पर्व ‘बारिया का जाग’ को भी फिल्म में विशेष स्थान दिया गया है।
पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
सीएम धामी ने यह भी कहा कि जौनसार क्षेत्र के पर्यटन स्थलों को और विकसित करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। हनोल मंदिर के मास्टर प्लान पर भी तेजी से कार्य किया जा रहा है, जिससे यह क्षेत्र तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख डेस्टिनेशन बन सके।
‘मैरै गांव की बाट’ उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को बड़े पर्दे पर जीवंत करने वाली एक शानदार पहल है। यह फिल्म क्षेत्रीय सिनेमा को एक नई पहचान देने के साथ ही उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को भी विश्व पटल पर लाने का प्रयास है। तो दोस्तों आपसे अनुरोध है कि इस ऐतिहासिक फिल्म का आनंद लेना न भूलें।
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