Pahadi Dal for Winter: आज के समय की बात करे तो उत्तराखंड के पहाड़ो की दालों की मांग में काफी बढ़ोतरी हुयी है। क्यूंकि ये पहाड़ो पर होने के साथ-साथ शुद्ध आर्गेनिक और औषधीय गुणों से भरपूर है। ये दालें केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि यहाँ की परम्परा और खान-पान का विशेष स्थान है। शहरों की तरफ इन दालों की काफी मांग बढ़ रही है। इससे किसान और कास्तकारो को बढिया लाभ पहुंचा है। काफी ग्रामीणों ने अपनी निजी नौकरी को छोड़कर इस पारम्परिक संस्कृति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। और मुनाफा भी दुगुना हो रहा है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओ को भी आर्थिक रूप से सशक्त बन रही है।
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आईये पहाड़ी सुविधा के साथ चर्चा करेंगे जिन दालों की मांग बढ़ रही है, जिनसे मुनाफा दोगुना हो रहा है।
पहाड़ी दालों का महत्व (Pahadi Dal for Winter)
प्रमुख रूप से उत्तराखंड की पहाड़ी दालें, जैसे गहथ, तोर, उड़द, काले भट, रयांस, छीमी, लोबिया और विभिन्न क्षेत्रों की राजमा (जैसे पौडी, चकराता, जोशीमठ, हर्षिल और मुनस्यारी की राजमा) न केवल राज्य में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हैं। ये दालें औषधीय गुणों से भरपूर हैं और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
औषधीय गुणों का खजाना
इन दालों में प्राकृतिक पोषक तत्व होते हैं जो मनुष्य के लिए ही नहीं पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। और इनमें रसायनों का उपयोग न्यूनतम होता है। प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, खनिज और कैल्शियम से युक्त ये दालें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती हैं। यही वजह है कि बदलते मौसम में इनका सेवन बेहद फायदेमंद होता है।
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
यह खाने में जितने स्वादिस्ट होने है, उतने ही सर्दियों के मौसम में इन दालों का सेवन शरीर को गर्म रखने के साथ ही विभिन्न बीमारियों से बचाने में सहायक होता है। इनमें मौजूद पोषक तत्व सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी आम समस्याओं को दूर रखते हैं।
गहथ और तोर: सर्दियों के लिए रामबाण उपाय
गहथ (कुलथ): गहथ, जिसे पहाड़ में गौथ के नाम से भी जाना जाता है, सर्दियों के मौसम में बेहद लाभकारी मानी जाती है। पहाड़ो के पुराने लोग इसे रात भर भिगोकर इसके पानी पीने से पथरी का इलाज किया करते थे। जो आज भी डॉक्टरों द्वारा भी प्रमाणित है।
औषधीय गुण: गहथ कार्बोहाइड्रेट, वसा, रेशा, खनिज और कैल्शियम से भरपूर होती है। यह शरीर को गर्म रखने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
पारंपरिक व्यंजन: इससे गथ्वाणी, फाणु और पटौड़ी जैसे स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन बनाए जाते हैं।
1. तोर:
तोर की दाल भी सर्दियों में स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा पाया जाता है। इससे विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जैसे:
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- भरवा परांठ
- खिचड़ी
- तोर की दाल
तोर की नियमित खपत शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और ठंड के मौसम में इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखती है।
2. काला भट और सफेद भट: सेहत का खजाना
- काला भट:काले भट में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और आयरन होता है, जो शरीर को सर्दियों में गर्म और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है।
लोकप्रिय व्यंजन: भट की चुटकानी
- भट की चुटकानी
- डुबके
- चैंसू
औषधीय गुण: काला भट हड्डियों को मजबूत बनाने, डायबिटीज को नियंत्रित करने और लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होते हैं।
सफेद भट: सफेद भट भी समान रूप से पौष्टिक होता है। इसे सर्दियों में नियमित रूप से खाने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।
3. लोबिया और अन्य दालों का महत्व
लोबिया: लोबिया कोलेस्ट्रॉल कम करने, दिल और पाचन को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है। यह त्वचा कैंसर में भी लाभकारी है और नींद से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है।
स्वास्थ्य लाभ:
- कोलेस्ट्रॉल कम करता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- नींद से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है।
4. उड़द:
उड़द दाल शक्तिवर्धक है और वजन बढ़ाने में मदद करती है। यह पाइल्स, खांसी जैसी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होती है।
पारंपरिक व्यंजन:
- उड़द के पकौड़े
- उड़द की खिचड़ी
5. राजमा:
चकराता, जोशीमठ, हर्षिल और मुनस्यारी की राजमा को खासतौर पर पसंद किया जाता है। ये राजमा स्वाद और पौष्टिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करती हैं।
लोकप्रियता: उत्तराखंड में बनाई जाने वाली राजमा की दाल अपने अद्वितीय स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
पहाड़ी दालों से जुड़ी महिलाओं का सशक्तिकरण
उत्तराखंड की पहाड़ी दालों की बढ़ती मांग ने न केवल किसानों को, बल्कि स्वयं सहायता समूहों को भी आर्थिक रूप से सशक्त किया है।
शक्ति स्वयं सहायता समूह:
सहसपुर स्थित सहायता समूह के अनुसार, दालों की मांग सर्दियों में बढ़ जाती है। उनके समूह में लगभग 200 महिलाएं दालों की सफाई और पैकिंग का कार्य करती हैं। यह रोजगार का एक बड़ा जरिया बन गया है।
पौड़ी क्षेत्र डूंगरी गाँव का पहाड़ी स्टोर:
पौड़ी क्षेत्र के डूंगरी गाँव में स्थित एक पहाड़ी स्टोर के संचालक मनीष सुन्द्रियाल बताते हैं कि पहले लोग गांवों से उत्पाद मंगवाते थे, लेकिन अब उनके द्वारा गाँव से देहरादून, दिल्ली जैसे शहरों में भी पहाड़ी उत्पाद आसानी से उपलब्ध हैं।
डायटीशियन की राय
डायटीशियनो के अनुसार, पहाड़ी दालों में किसी भी प्रकार का रसायन नहीं होता, जो इन्हें स्वास्थ्य के लिए और भी लाभदायक बनाता है।
गहथ (कुलथ): यह किडनी स्टोन के इलाज में बेहद कारगर है। खांसी, जुकाम और डायरिया में भी यह रामबाण की तरह काम करता है।
लोबिया: यह कोलेस्ट्रॉल कम करता है, दिल और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
भट: यह डायबिटीज को नियंत्रित करने और हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है।
उड़द: यह वजन बढ़ाने और कमजोरी दूर करने के लिए प्रभावी है।
परंपरागत व्यंजनों को बढ़ावा
पारंपरिक पहाड़ी दालों से बने व्यंजनों की लोकप्रियता न केवल राज्य में, बल्कि अन्य राज्यों में भी बढ़ रही है। ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी हैं।
- गथ्वाणी
- फाणु
- पटौड़ी
- चुटकानी
- डुबके
बाजार में बढ़ी मांग
शहरों और विभिन्न राज्यों में पहाड़ी दालों की बढ़ती मांग ने उत्तराखंड के किसानों और स्वयं सहायता समूहों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान किया है।
स्वयं सहायता समूहों का योगदान:
महिलाओं द्वारा दालों की सफाई और पैकिंग के कार्य ने उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है।
बाजार की सुविधा:
अब पहाड़ी दालों के उत्पाद गांवों से शहरों तक आसानी से पहुंच रहे हैं। इसके लिए कई स्टोर्स और मार्केटिंग चैनल्स सक्रिय हैं। कुछ लिंक यहाँ दिए गए है आप यहाँ से पहाड़ी दाल घर बैठे मंगवा सकते है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की पहाड़ी दालें न केवल पोषण से भरपूर हैं, बल्कि औषधीय गुणों का खजाना भी हैं। इनकी बढ़ती मांग किसानों और महिलाओं को रोजगार और आय का साधन प्रदान कर रही है। बदलते मौसम में इन दालों का सेवन शरीर को रोगों से बचाने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद सहायक है।
शुरू से ही उत्तराखंड की दाले विरासत रही है। जो आज भी उत्तराखंड वासियों के लिए वरदान साबित हो रही है। दोस्तों उम्मीद करते है जब भी आप लोग पहाड़ो पर घूमने आये तो पहाड़ी दालों को अपने आहार में आज से ही शामिल करेंगे।
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